Sources of Ancient Indian History (प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत)

Sources of Ancient Indian History ; भारतीय इतिहास को पुनर्निर्माण करने के लिए स्रोत एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अतीत का कोई भी अवशेष, स्रोत के उद्देश्य की पूर्ति कर सकता है।  प्राचीन भारत के इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए हमारे पास विभिन्न ऐतिहासिक स्रोत हैं। 

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत; Overview

Name of the ArticleSources of Ancient Indian History (प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत)
CategoryStudy Materials
Subject Ancient History

1. भारतीय लेखकों के द्वारा प्रस्तुत विवरण Sources of Ancient Indian History

कल्हण– कल्हण, कश्मीर के महाराज हर्षदेव (1068-1101ई.) के महामात्य चंपक के पुत्र और संगीतमर्मज्ञ कनक के अग्रज थे। इन्होने राजतरंगिणी (राजाओं की नदी) की रचना की थी, जो संस्कृत में है तथा इसमे कश्मीर का इतिहास (प्रारम्भ से लेकर 12 वीं सदी तक के कश्मीर के शासकों का वर्णन) है। ऐतिहासिकता की पहली झलक इसी ग्रन्थ में मिलती है। राजतरंगिणी में आठ सर्ग हैं जिन्हे तरंगों कहा गया है। राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर का नाम “कश्यपमेरु” था। कश्यपमेरु, ब्रह्मा के पुत्र ऋषि मरीचि के पुत्र थे। कश्मीर के शासक जैनुलाब्दीन ने राजतरंगिणी को फारसी में अनुवादित करवाया था।

पाणिनि– पाणिनि का जन्म शलातुर नमक ग्राम में हुआ था। अपने जन्मस्थान के अनुसार पाणिनि शालातुरीय भी कहे गए हैं। पिता का नाम पणिन और माता का नाम दाक्षी था। इन्होने पहले संस्कृत व्याकरण अष्टाध्यायी की रचना की थी जिसमे मौर्यकाल के सामाजिक जीवन का वृतांत मिलता है। इस ग्रन्थ में पहली बार लिपि शब्द का प्रयोग हुआ है।

पंतजलि– पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि  थे जिन्हे संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है। इनमें से योगसूत्र उनकी महानतम रचना है जो योगदर्शन का मूलग्रन्थ है।  पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया गया। पतंजलि महान चिकित्सक थे और इन्हें ही ‘चरक संहिता’ का प्रणेता माना जाता है। ये पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे,  इनके महाभाष्य से शुंगों के इतिहास का पता चलता है।

चाणक्य– चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। पिता श्री चणक के पुत्र होने के कारण वह चाणक्य कहे गए। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र (जो 15 अधिकरणों था 180 प्रकरणों में विभाजित है) नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। यह ग्रन्थ मौर्यकालीन राजव्यवस्था का चित्रण करती है। 1915 में अर्थशास्त्र को एक संस्कृत के विद्वान रुद्रपट्टण शामशास्त्री (1868–1944) ने अंग्रजी में अनुवाद किया था।

वाणभट्ट– वाणभट्ट राजा हर्षवर्धन के दरबारी कवि थे उनके द्वारा रचित  दो प्रमुख ग्रंथ हैं: हर्षचरितम् तथा कादम्बरी। हर्षचरितम् , राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र है और कादंबरी विश्व का पहला उपन्यास है। कादंबरी पूर्ण होने से पहले ही बाणभट्ट का देहान्त हो गया और इसे उनके पुत्र भूषणभट्ट ने पूरा किया।

कालिदास- कालिदास तीसरी- चौथी शताब्दी मे गुप्त साम्राज्य के संस्कृत  के महान कवि और नाटककार थे पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में कालिदास का जिक्र है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-  अभिज्ञानशाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम्, मालविकाग्निमित्रम्,  रघुवंशम् , कुमारसंभवम् , मेघदूतम् और ऋतुसंहारम्।

वाकपति- वाक्पति प्राकृत के प्रसिद्ध कवि हैं। वे राजा यशोवर्मन के राजकवि थे।गौड़वह इनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक रचना है जो कन्नौज के राजा यशोवर्मन पर है।

हेमचन्द्र- हेमचन्द्र सूरि एक प्रसिद्ध जैन आचार्य थें, इन्होने कुमारपालचरित की रचना  की थी जिससे इससे सिद्धराज जयसिंह एवं कुमारपाल  (गुजरात का सोलंकी वंश) के बारे में पता चलता है।

नयचन्द्र – नयचन्द्र सूरी, एक जैन विद्वान थे इन्होने हम्मीरमहाकाव्य की रचना की थी जिसमें रणथम्भौर के महान शासक हम्मीर देव के साम्राज्य का विस्तार से वर्णन किया गया है ।

विल्लाल- विल्लाल के संबंध में प्रामाणिक जानकारी नहीं है। इतना ही पता चलता है कि विल्लाल दैवज्ञ अथवा विल्लाल मिश्र नामक एक काशीनिवासी विद्वान् था। उसके पिता का नाम त्रिमल्ल था। भोजप्रबंध, विल्लाल की कृति है। भोजप्रबंध के अंत:साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है कि विल्लाल का समय कहीं ई॰ 16वीं शताब्दी होगा।

पद्मगुप्त- पद्मगुप्त, राजा मुंज (परमार वंश के राजा) के आश्रित कवि थे जिन्होने ‘नवसाहसांकचरित‘ नामक संस्कृत महाकाव्य की रचना की।

Sources of Ancient Indian History (प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत)
Sources of Ancient Indian History (प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत)

2. भारतीय राजाओं द्वारा रचित साहित्य Sources of Ancient Indian History

नन्दिवर्मन III – पल्लव शासक नन्दिवर्मन तृतीय, दंतिवर्मन का पुत्र तथा नंदिवर्मन द्वितीय का पौत्र था, जिसने 846 ई से 869 ई तक शासन किया। । इन्होंने नन्दिक्कलमबक्कम की रचना की थी। 

हाल – वासिष्ठीपुत्र श्रीपुलुमावि के बाद कृष्ण द्वितीय सातवाहन साम्राज्य का स्वामी बना। इसने कुल 24 वर्ष तक (8 ई. पू. से 16 ई. तक) राज्य किया। उसके बाद हाल सातवाहन साम्राज्य राजा का हुआ। इसकी लिखी हुई ‘गाथा सप्तशती’ प्राकृत भाषा की एक प्रसिद्ध पुस्तक है।

महेन्द्रवर्मन I – महेन्द्रवर्मन प्रथम चम्पा राज्य के राजा थे, पहले वे जैन धर्म के अनुयायी थे पर बाद में उन्होंने शैव धर्म अपनाया। महेन्द्र वर्मन प्रथम (600-630ई.) सिंह विष्णु का पुत्र एवं उत्तराधिकारी थें। उसने ‘मत्तविलास प्रहसन‘ तथा ‘भगवदज्जुकीयम’ जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की।

हर्षवर्धन- हर्षवर्धन (590-647 ई.) प्राचीन भारत में एक राजा थे जिन्होंने 606 ईस्वी से 647 ईस्वी तक उत्तरी भारत पर शासन किया था। वह वर्धन वंश के शासक प्रभाकरवर्धन के पुत्र थे। उन्होंने रत्नावली (राजकुमारी रत्नावली की कहानी), नागानंद (नागों का आनन्द) और प्रियदर्शिका (राजा उदयन और राजकुमारी प्रियदर्शिका की कहानी) की रचना की।

सोमेश्वर III- सोमेश्वर तृतीय (शासनकाल 1126 – 1338 ई) पश्चिमी चालुक्य शासक थे। वे विक्रमादित्य चतुर्थ एवं रानी चन्दलादेवी के पुत्र थे। इन्होने मानसोल्लास नामक संस्कृत ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ को ‘अभिलाषितार्थचिन्तामणि’ भी कहते हैं।

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